सिनेमाघरों में दृश्यम 2 का पहला वीकएंड निकल चुका है। कहां तो अनुमाना था कि 10-12 करोड़ की रेंज में फिल्म को ओपनिंग मिलेगी और वीकएंड में ले देकर 35-40 करोड़ रुपये तक कमा लेगी। पर दृश्यम 2 की कमाई हैरान करने वाली रही। देसी बॉक्स ऑफिस पर 15.38 करोड़ की ओपनिंग हासिल करने वाली फिल्म की कमाई तीन दिनों में 64.14 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। दूसरे दिन फिल्म ने 21.59 करोड़ और तीसरे दिन 27.17 करोड़ कमाए। कहां तो 40 करोड़ तक अनुमान लगाया गया था और उसी अवधि में कलेक्शन आंकड़े 64.14 करोड़ पर हैं. ऐसा सिर्फ देसी बॉक्स ऑफिस पर ही नहीं दिख रहा।
फिल्म रिलीज से पहले ही अपनी स्टोरीलाइन और बैनर लीगेसी की वजह से 70 करोड़ कमा लिए थे। पिंकविला की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ ये 70 करोड़ सेटेलाइट राइट्स के बदले मिले थे जिसे जी नेटवर्क ने खरीदा है। फिल्म सिनेमाघरों में 23 करोड़ से ज्यादा कमा चुकी है। और इसका लाइफटाइम कलेक्शन 35 करोड़ से ज्यादा रहने की संभावना है। यानी यह फिल्म 90 से 100 करोड़ रुपये कवर करते दिख रही है। साफ़ है कि प्रॉफिट 50 करोड़ के आसपास है। ऊंचाई ने सिर्फ और सिर्फ अपने कॉन्टेंट की वजह से मुनाफा बटोरा है। अगर ब्रह्मास्त्र को भी देखें तो सिनेमाघरों से 450 करोड़ से ज्यादा फिल्म की कमाई के दावे किए गए। यह कलेक्शन हिंदी में टॉप 3 कलेक्शन में है। अब करण जौहर की फिल्म का बजट 400 करोड़ से ज्यादा रहा, और बजट की तुलना में मुनाफा नहीं निकला तो दोष उनका है।
अगर सिर्फ कुछ अभिनेताओं की फीस पर ही फिल्म के बजट का 80 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया जाएगा, और ऐसे अभिनेता जो अपनी फीस के बराबर भी कमाई करने में सक्षम नहीं हैं, उनका चेहरा किन्हीं वजहों से दर्शकों को पसंद नहीं है तो इसमें दोष निर्माताओं का है। दर्शकों का नहीं विवादित बयानों से सुर्खिया बटोरने वाले नायकों को अभिनय और भारतीय कहानियों पर भी ध्यान देना चाहिए। सिर्फ शर्ट उतार देने और दोनों हाथ हवा में फैलाकर हीरोइन को ललचाने भर से अब दर्शक सिनेमाघर नहीं आने वाला। भारत और भारतीयता को नजरअंदाज नहीं कर सकते। मत भूलिए कि भारी विरोध के बावजूद सिर्फ पौराणिक कहानी होने की वजह से लोगों ने एक तरह से ब्रह्मास्त्र को खूब देखा। पौराणिक कहानी नहीं होती तो आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा की तरह ब्रह्मास्त्र का 50 करोड़ कमाना भी मुश्किल हो जाता। बॉलीवुड की बर्बादी से चिंतित लोगों को ब्रह्मास्त्र, ऊंचाई और दृश्यम 2 से देश का मूड समझ लेना चाहिए कि लोग असल में देखना क्या चाहते हैं। कांतारा को भी लिस्ट में रख लीजिए।
दृश्यम 2 और ऊंचाई बॉलीवुड के लिए बहुत बढ़िया केसस्टडी के लिए हैं। अच्छा कॉन्टेंट अपने दर्शकों तक पहुंच जाता है। उसे कंट्रोवर्सी की जरूरत नहीं पड़ती। किसी कैम्पेन की जरूरत नहीं पड़ती, बिना वजह के मसलों की जरूरत नहीं पड़ती, नायक को बिना वजह गठीला बदन दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती और चीजों को तोड़ मरोड़कर भी पेश करने की जरूरत नहीं पड़ती। कहानी अच्छी होगी, आम दर्शक खुद को उससे कनेक्ट करेगा तो वह जरूर देखेगा। मजेदार यह भी है कि दोनों फिल्मों में कलाकारों ने जो उम्दा अभिनय किया है उसकी चर्चा है। वह भी एक बेंचमार्क है।
सस्ते ट्रिक से फिल्मों को हिट कराना और जबरदस्ती सुपरस्टार बन जाने का फ़ॉर्मूला अब ध्वस्त हो चुका है।
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