‘फाडू’ वो अपभ्रंश है जिसकी उत्पत्ति शायद स्लम में हुई थी और अब तो कॉमन इंडियन स्लैंग है। इसका मतलब है अमेजिंग या आउटस्टैंडिंग और यदि फाडू बोल दें तो ‘ग्रेट’ हो गया। सो आईडिया ‘फाडू’ हो सकता है, कहानी ‘फाडू’ हो सकती है, माल ‘फाडू’ हो सकता है और लव स्टोरी ‘फाडू’ हो तो ऐसी वेब सीरीज बन जाती है, जिसमें ना तो ग्लैमर है ना ही ग्लैमरस स्टार लेकिन फूट पड़ता है क्या फाडू लव स्टोरी है। यकीन मानिए प्रेमी जोड़े पावेल गुलाटी और सैयामी खेर का तो लंबे समय तक ‘मंजरी’ और ‘अभय’ की फाडू जोड़ी के रूप में ही जिक्र होगा। सीरीज काफी लंबी है, कुल दस एपिसोड हैं लेकिन हर एपिसोड के साथ ही मोरल है, जीवन के लिए एक सीख है।
सबसे ज्यादा लुभाता है हर एपिसोड का टाइटल जिसके अनुरूप ही कहानी विस्तार पाती है। अब देखिये पहला एपिसोड है “DIAMOND IN THE ROUGH” यानी गुदड़ी के लाल और वे उभरते हैं मेघावी मंजरी और उससे बीस ही अभय के रूप में। दूसरा एपिसोड है “STARRY NIGHT” यानी ड्रीमर्स की तारों भरी रात जब जो गलत है वह भी ड्रीम करता है। मसलन आर्थिक मंदी इसलिए अच्छी लगती है चूंकि अमीर थोड़ा गरीब हो रहा है तो फासला कम हो रहा है जिसे कवर किया जा सकता है। नोटबंदी के तत्काल अच्छे लगने का भी शायद यही कारण था। तीसरा एपिसोड है ”THE DICE” बोले तो पासा। हर पासा गैंबलिंग नहीं होता है।
चौथा एपिसोड है “A Crossing” जब किसी का किसी के साथ एक अज्ञात यात्रा में भी साथ देने का मन बनता है। पांचवां भाग है “Like a Sore Thumb” और फिर “First Blood” और भी…कुल कहानी मय स्टोरी लाइनों के, जिनमें कभी रतन डॉन का पदार्पण है। गुज्जु बिजनेसमैन धीरेन्द्र पटेल के साथ स्टार्टअप सरीखा कांसेप्ट है। फिर उद्धेशी बंधु भी हैं, कहने में आसान लगती है चूंकि दक्षतापूर्ण गढ़ी जो गई हैं। आसान यूं है कि एक लड़का है अभय जो काफी गरीबी में पला है। सपने बड़े हैं उसके, ईमानदारी से लेकिन जल्दी ही अमीर होना चाहता है, जिंदगी में मंजरी आती है, प्यार हो जाता है, कॉमन फैक्टर दोनों का कवि ह्रदय है हालांकि काव्य को लेकर दोनों की सोच अलग है।
दोनों शादी भी करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे अभय के पास पैसा आता है वैसे-वैसे दोनों के बीच प्यार कम होता जाता है और जीवन में खालीपन आ जाता है। कहानी हौले हौले बढ़ती है लेकिन इंटरेस्टिंग बनी रहती है चूंकि हर किरदार को गहराई प्रदान की गई है और किरदारों के संवादों पर की गई बेहतरीन मेहनत भी नजर आती है। पल दो पल गुज़रते नहीं हैं कि कोई न कोई ऐसा डायलॉग आता है जो जिंदगी के बारे में सोचने को मजबूर करता है मसलन पैसा कमाते वक्त पर्पज बहुत होते हैं लेकिन जब बहुत पैसा आ जाए तब पैसे को पर्पज देना पड़ता है। शादी में फन हो, बोरडम हो, चुप्पी हो, निभ जाती है, लेकिन पार्टनर ने डीजोनेस्टी (बेईमानी) जोड़ दी तो निभाना मुश्किल हो जाता है। और तो और रेफेरेंस भी सटीक उठाये गए हैं। पोएट के और पोएट्री के भी। तभी तो क्या आम और क्या इंटेलेक्ट टाइप व्यूअर, इन्वॉल्व हो ही जाता है। फिर कंट्रास्ट भी खूब गढ़े गए हैं।
मसलन ग़ालिब बनाम गुची (GUCCI), फैज बनाम फेरारी तक का सफर कितना दुखदायी है। अपना ही स्ट्रेंजर समझ आने लगता है, निहित स्वार्थवश अपने ने स्ट्रेंजर को जो अपना लिया है। बात एक्टिंग की करें तो पावेल गुलाटी और सैयामी लीड रोल में हैं और जैसा शुरू में ही बताया “फाडू” जोड़ी है, क्योंकि दोनों की अदाकारी इस कदर फाडू है कि मंजरी और अभय ही याद रह जाते हैं। एक और फाडू किरदार वर्थ मेंशन है और वह है अभय के भाई रॉकी के रोल में अभिलाष थपलियाल। रोल के अनुरूप लुक में उसने अपनी शानदार एक्टिंग से जान डाल दी है। अश्विनी अय्यर तिवारी का निर्देशन एक बार फिर काबिले तारीफ है।
एक और बेहतरीन किरदार है सीरीज का जो हर एपिसोड में हैं और वह है कमाल की फोटोग्राफी। क्या बस्ती क्या ही कचरा और क्या ही समुद्र किनारे पत्थरों पर बैठा प्रेमी जोड़ा और क्या ही और सब कुछ रियल लगता है नेचुरल कलर में, जिसने भी की है, खूब की है और यदि वह न्यूकमर है तो इस फील्ड में यक़ीनन दुनिया उसकी मुट्ठी में होगी। म्यूजिक और गाने वाने भी ठीक हैं और जब नेपथ्य में “मैं तेरे लिये ना बनी तू मेरे लिये ना बना मेरी जान, फिर भी हम साथ हैं” चलता है तो क्यों न कहें यही तो हर लव स्टोरी है। अंत में फर्ज निभाते चले तो “फाडू ए लव स्टोरी” एक फैमिली शो है। इसे जरूर देखें। एन्जॉय तो करेंगे ही साथ ही कटु सत्य से भी वास्ता होता है।
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