विजय की हिंदी पट्टी में पैर जमाने की एक और कोशिश, ‘श्रीवल्ली’ के साथ सिखाए पारिवारिक मूल्य…!
Read Time:5 Minute, 28 Second
Views:525

विजय की हिंदी पट्टी में पैर जमाने की एक और कोशिश, ‘श्रीवल्ली’ के साथ सिखाए पारिवारिक मूल्य…!

0 0

कोई भी फैमिली परफेक्ट नहीं होती लेकिन फिर भी रिश्तों को निभाना जरूरी होता है क्योंकि अपनों से हारकर दुनिया जीतने में कुछ नहीं है। अपनी पिछली फिल्म बीस्ट के बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाने के बाद तमिल सुपरस्टार थलापति विजय अपनी पोंगल रिलीज ‘वारिसु’ से एक्शन, इमोशन, कॉमेडी और रोमांस का परफेक्ट कॉम्बो लेकर लौटे हैं। फिल्म में उन्होंने एक परफेक्ट फैमिली मैन के तौर पर अपने फैंस को फैमिली फर्स्ट का मैसेज दिया है।

तेलुगू सिनेमा की ‘बाहुबली’, ‘पुष्पा’ और ‘आरआरआर’ ने पिछले दिनों हिंदी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की, तो कन्नड़ सिनेमा की ‘केजीएफ’ और ‘कांतारा’ के हिंदी डब वर्जन ने भी जबरदस्त कमाई की। बीते साल तमिल सुपरस्टार्स अजीत कुमार की वलीमई, थलापति विजय की बीस्ट और चियान विक्रम की पीएस वन हिंदी में डब होकर रिलीज हो चुकी हैं। हालांकि ये फिल्में कुछ खास नहीं कर पाईं। लेकिन तमिल सितारों की हिंदी बॉक्स ऑफिस पर कब्जा जमाने की कोशिशें जारी हैं। थलापति विजय की वारिसु को उसके निर्माताओं ने इसकी तमिल रिलीज के दो दिन बाद हिंदी में रिलीज किया है। तमिल बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन कमाई का नया रेकॉर्ड बना चुकी वारिसु में विजय जबरदस्त फॉर्म में हैं।

‘वारिसु’ की कहानी
फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि देश की सबसे बड़ी माइनिंग कंपनी का मालिक राजेंद्रन (एस शरत कुमार) अपने तीनों बेटों को अपने हिसाब से चलाना चाहता है। लेकिन उसका सबसे छोटा बेटा विजय (थलापति विजय) दोनों बड़े भाइयों की तरह पापा के बिजनेस का हिस्सा बनने से इनकार करके घर छोड़कर चला जाता है। उसकी मां (जया सुधा) विजय को पापा के साठ साल का होने के मौके पर घर बुलाती है। सात साल बाद घर लौटा विजय यह देखकर हैरान रह जाता है कि उसका परिवार बाहर से भले ही एक दिखता हो, लेकिन भीतर से बिखर चुका है। फैमिली फंक्शन में कुछ ऐसी घटना होती है कि परिवार की कलह सामने आ जाती है। विजय को वापस लौटना था, लेकिन जब उसे अपने पापा की जानलेवा बीमारी का पता लगता है, तो वह घर पर रुककर सब कुछ सही करने की ठान लेता है। विजय किस तरह घर से लेकर बिजनेस तक के दुश्मनों से निपटता है, यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा।

फिल्म की यह साधारण सी नजर आने वाली कहानी आप इससे पहले कई हिंदी फिल्मों में देख चुके होंगे, लेकिन फिल्म के डायरेक्टर वमसी पैडीपल्ली ने इसे बेहद खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है। फिल्म के पहले हाफ में वह आपको कहानी से इमोशनली जोड़ते हैं और दूसरे हाफ में विजय जबर्दस्त एक्शन में दिखाई देते हैं। हालांकि पौने तीन घंटे लंबी इस फिल्म को एडिटिंग टेबल पर थोड़ा कसा जा सकता था। फिल्म का क्लाईमैक्स वही है, जो ऐसी फिल्मों में होता है, लेकिन विजय ने एक साथ एक्शन से लेकर इमोशन, कॉमेडी और रोमांटिक अवतार में आकर फिल्म में जान डाल दी। उन्होंने बेहतरीन ऐक्टिंग की है। रश्मिका मंदाना पर्दे पर बेहद खूबसूरत लगी हैं, लेकिन अफसोस कि उनके पास ज्यादा स्क्रीन स्पेस नहीं है। एस शरत कुमार ने जरूर जोरदार ऐक्टिंग की है, लेकिन जया सुधा का काम भी कमाल है। खासकर मां बेटे के सींस आपको इमोशनल कर देते हैं। यह फिल्म आपको हंसाती है, रुलाती है, तो जिंदगी के सबक भी सिखाती है। अगर आप साल की शुरुआत में साफ सुथरी फैमिली एंटरटेनर फिल्म देखना चाहते हैं, इस फिल्म का टिकट कटा सकते हैं।

बेहतरीन फिल्मे और वेबसेरिस को देखने के लिए भारत का पहला वर्चुअल सिनेमा दिव्या दृष्टि प्लेयर डाउनलोड करे। और बेहतरीन फिल्म और वेबसेरिस का घर बैठे अपने परिवार के साथ आनंद उठाए । दिए हुए लिंक पर क्लिक करे

 

https://play.google.com/store/apps/details?id=net.digital.divyadrishtiplayer

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post जल्द ओटीटी पर दस्तक देगी ‘अवतार द वे ऑफ वॉटर’?
Next post बर्लिनेल सीरीज मार्केट्स में करिश्मा की ‘ब्राउन’ का चयन, तीन साल बाद ओटीटी पर होगी ‘लोलो’ की वापसी

Download our app

Social Link

Recent Posts