द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उस समय के सोवियत रूस से बचाए गए 1000 पॉलिश बच्चों को जामनगर के महाराजा, दिग्विजयसिंहजी रंजीतसिंहजी जडेजा गुजरात में शरण दी थी। वे बच्चे महाराजा साहब को प्यार से ‘बापू’ भी कहते थे। फिल्म ‘द गुड महाराजा’ में संजय दत्त, गुलशन ग्रोवर जैसे कलाकारों के अलावा पोलैंड के कई टैलंटेड ऐक्टर्स भी हैं।
भारत और पोलैंड के लिए एक कमाल का ऐतिहासिक क्षण हुआ था जब जामनगर के महाराजा, दिग्विजयसिंहजी रंजीतसिंहजी जडेजा (जिन्हें जाम साहब भी कहा जाता है) ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उस समय के सोवियत रूस से बचाए गए 1000 पॉलिश बच्चों को बलाचडी, गुजरात में शरण दी थी। वे बच्चे महाराजा साहब को प्यार से ‘बापू’ भी कहते थे।
ये प्यार से कहे गए वो शब्द थे जिनकी गूंज समय के अंतराल को पार करके दो देशों को उस समय करीब लाई जब बहुत से देशों के सबसे मज़बूत समझे जाने वाले गठबंधन भी पूरी तरह से टूट चुके थे।
अपनी मेगा बजट वाली इंडो-पोलिश फिल्म ‘नो मीन्स नो’ के लिए सुर्ख़ियों में रहने वाले बॉलिवुड फिल्ममेकर विकाश वर्मा ने महाराजा दिग्विजयसिंह जी रंजीतसिंह जी जडेजा द्वारा 1000 पोलिश बच्चों को बचाने के लिए किए गए युद्ध की दिल छू लेने वाली सच्ची कहानी पर आधारित अपने अगले प्रोजेक्ट ‘द गुड महाराजा’ की तैयारी शुरू कर दी है। यह फिल्म राज कपूर की याद दिलाता है जिनकी 1970 की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ जिसने भारत और सोवियत रूस के बीच के रिश्तों को फिर से मज़बूत कर दिया था।
हम महाराजा दिग्विजयसिंहजी रंजीतसिंहजी जडेजा की बेटी, हर्षद कुमारी 2 फरवरी, 2022 को हमारे बीच नहीं रहीं। वह उन कुछ लोगों में से एक थीं जिन्होंने महाराजा साहब के दिल की गहराईयों को छू लेने वाले प्रयासों को देखा था ।
फिल्म ‘द गुड महाराजा’ में संजय दत्त नवांनगर (अब जामनगर, गुजरात भारत) के महाराजा जाम साहिब के टाइटल रोल में हैं और साथ ही ध्रुव वर्मा एक रूसी स्नाइपर के लीड रोल में हैं, लेकिन वह फिल्म में हीरो की भूमिका निभा रहे हैं या विलन की, इसकी जानकारी नहीं है। उनके साथ भारत से गुलशन ग्रोवर, दीपराज राणा, शरद कपूर और नाज़िया हुसैन जैसे दिग्गज ऐक्टर्स हैं, वहीं पोलैंड के टैलंटेड ऐक्टर्स एना एडोर, कैट क्रिस्टियन, अन्ना गुज़िक, नतालिया बाक, पावेल चेक, सिल्विया चेक, जेरज़ी हैंडज़लिक और जेसेक बिंदा भी हैं।
बताया जा रहा है कि यह फिल्म 400 करोड़ रुपये के मेगा बजट में तैयार हो रही है और एक शानदार फिल्म की उम्मीद की जा रही है। फिल्म की तैयारी के बारे में पूछे जाने पर मेकर विकाश ने कहा, ‘इस तरह की मास्टरपीस कहानी जो दुनिया के इतिहास में एक खास मौके पर रची-बसी हो, तो फिल्म से जुड़े हर एक पक्ष के लिए रिसर्च सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है। चाहे वो स्क्रिप्टिंग हो, डायलॉग्स हों, ऐक्शन हो, कॉस्ट्यूम आदि हों, दर्शकों के लिए सिनेमा का सबसे प्रामाणिक अनुभव लाने के लिए फिल्म का हर डिपार्टमेंट गहरी रिसर्च करने में लगा हुआ है।’
पोलैंड में भारत के पूर्व राजदूत (अब कनाडा में उच्चायुक्त) अजय बिसारिया ने फिल्म के बारे में बोलते हुए कहा, ‘यह फिल्म दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और दोस्ती को हाईलाइट करती है।’
हमें यकीन है कि दर्शक न केवल बेसब्री से फिल्म ‘नो मीन्स नो’ का इंतजार कर रहे हैं, बल्कि ‘द गुड महाराजा’ के बारे में हलकी-फुल्की बातों से जो खबरें शुरू हुईं थीं, वह अब निश्चित रूप से भव्य पैमाने पर तैयार हो रही है।
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