वरुण धवन और जाह्नवी कपूर की प्रेम कथा को वर्ल्ड वॉर टू के साथ जोड़कर बनाई है नितेश तिवारी ने फिल्म ‘बवाल’ इन दिनों बड़ी -बड़ी फिल्में सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं ,वरुण धवन और जाह्नवी कपूर की फिल्म ‘बवाल ‘भी अमेजॉन प्राइम पर प्रस्तुत की गई है।’छिछोरे’और ‘दंगल’ जैसी कई अर्थ पूर्ण और शानदार फिल्में बनाने वाले निर्देशक नितेश तिवारी ने इस फिल्म को निर्देशित किया है।फिल्म का ट्रेलर दुबई में रिलीज किया गया था।ओटीटी के रास्ते सीधे आपके घरों में देखी जाने वाली यह फिल्म काफी मनोरंजक और संदेश पूर्ण है ।अपने परिवार के साथ बैठकर यह फिल्म देखी जा सकती है। ‘दंगल’और ‘छिछोरे’ जैसी अर्थ पूर्ण फिल्में बनाने वाले निर्देशक , नितेश तिवारी की नई फिल्म बवाल का जब ट्रेलर आया तो मन में यही प्रश्न आया कि वरुण और जाह्नवी की प्रेम कथा को सेकंड वर्ल्ड वॉर से कैसे जोड़ा गया होगा,मगर फिल्म देखने के बाद पता चला कि सफल और सबसे अलग सोच रखने वाले निर्देशक नितेश तिवारी ने सेकंड वर्ल्ड वॉर के कई महत्वपूर्ण हिस्सों को फिल्म में रूपक की तरह जोड़कर, उसे आज के दौर के रिश्ते और उनकी जटिलताओं के साथ मिलाकर प्रस्तुत किया है। शुरुआत में यह जुड़ाव थोड़ा ‘दूर की कौड़ी ‘जैसा लेकिन जैसे-जैसे कहानी ने आगे शिद्दत की किरदार और परिस्थिति उसे अपने साथ प्रवाहित करती गई, दर्शक भी उसके साथ जुड़ते गए।
वरुण धवन और जाह्नवी कपूर की फिल्म बवाल की कहानी काफी अच्छी है।यह फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ जानकारी भी देती है,इस फिल्म को देखकर आप बोर तो नहीं होंगे ।इस फिल्म में कहानी भले ही 2 लोगों के प्रेम कथा की है,लेकिन उसे सेकंड वर्ल्ड वॉर की जानकारी के साथ परोसा गया है ।और यह जानकारी काफी रोमांचक और बिना बोर किए गए प्रस्तुत की गई है,फैंस भी काफी खुश हैं।
अमेजॉन प्राइम वीडियो पर हिंदी फिल्म ‘बवाल’ की समीक्षा:
फिल्म की कहानी लखनऊ में रहने वाले अज्जू भैया उर्फ अजय दीक्षित(वरूण धवन)की है। हीरो जैसी कद काठी और स्टाइल में रहने वाले अज्जू भैया यों तो एक साधारण से इतिहास के टीचर हैं, मगर पूरे शहर में उनके खूबियों के खूब चर्चे हैं। लखनऊ की जनता अज्जू भैया को कुछ और ही समझाती है। लेकिन अपने आप को जिस तरह तरह से लोगों के सामने दिखाते हैं ,बाहरी दुनिया में वह बिल्कुल अलग व्यक्ति है। अज्जू भैया को तो लोग आर्मी में अफसर ,जिले में कलेक्टर, खेल में क्रिकेटर तक समझते हैं लेकिन वह लोगों को यह बताता है कि उसे बच्चों का भविष्य बनाना था।
पूरा शहर अज्जू भैया को सुपरमैन से कम नहीं समझता है ,मगर उनके परिवार और दोस्त को छोड़कर यह कोई नहीं जानता कि अज्जू की पूरी इमेज एक छलावा है। उसने लोगों के सामने अपनी जो इमेज बनाई है वह सब झूठ है यहां तक कि वह इतिहास का शिक्षक भी जुगाड़ से ही बना है। वहीं निशा(जाह्नवी कपूर)एक पढ़ी-लिखी सुलझी हुई टॉपर लड़की है। अज्जू महज अपनी इमेज सेट करने के लिए निशा के साथ विवाह किया है। अज्जू भैया अपने जीवन से बिल्कुल ना खुश हैं ,लेकिन अपने आप को जिस तरह से लोगों के सामने दिखाते हैं बाहरी दुनिया में वह बिल्कुल अलग व्यक्ति हैं ।शादी के बाद उनका वैवाहिक जीवन काफी कष्ट भरा है। क्योंकि निशा को मिर्गी की बीमारी है। निशा ने शादी से पहले ही अजय उर्फ अज्जू भैया को अपनी बीमारी के बारे में बताया था और यह भी बताया था कि पिछले 10 वर्षों में उसे इसका अटैक या अनुभव नहीं हुआ। लेकिन शादी की रात निशा को फिर से मिर्गी के दौरे पड़ते हैं,अजय उसी वक्त वहां पर रहता है और निशा की हालत देखकर काफी परेशान हो जाता है। उसको लगने लगता है कि निशा की वजह से उसकी प्रतिष्ठा प्रभावित हो जाएगी। एक दिन अजय का निशा के साथ झगड़ा होता है और वह उसे गुस्से में थप्पड़ मार देता है। और फिर स्कूल चला जाता है ,इसी परेशानी के साथ वह अपनी कक्षा के एक छात्र को भी थप्पड़ मार देता है।
बाद में उसे पता चलता है कि वह छात्र स्थानीय विधायक का बेटा है। अब अजय की नौकरी खतरे में आ जाती है ।अजय ने आगे क्या किया? क्या उसने निशा के साथ अपने पारिवारिक मुद्दे को सुलझाया ?यही कहानी का सार है। वरुण धवन एक ऐसे अभिनेता हैं जो किसी भी किरदार को उसी रूप में आसानी से ढाल लेते हैं, बवाल जैसी अनोखी फिल्म का हिस्सा बनने के लिए अभिनेता को काफी अच्छी सराहना मिली है।यह पहली बार नहीं है जो कि वरुण ने कोई प्रायोगिक फिल्म को किया है, उन्होंने इससे पहले बदलापुर ,अक्टूबर ,सुई धागा जैसी असीम फिल्में लीक से हटकर की हैं, अब बवाल भी इसी सूची में जुड़ जाएगा। फिल्म में वरुण धवन ने अच्छे किरदार निभाए हैं, अज्जू भैया के किरदार में वह जम गए हैं उन्होंने लोकल भाषा और लहजे को भी अच्छे से अपने डायलॉग में उतारा है। वरुण धवन ने एक ऐसे युवा कलाकार का किरदार निभाया है जो, कि अपनी विभिन्न भावनाओं का प्रदर्शन परिस्थिति के अनुसार किया है।
वहीं जाह्नवी कपूर कोशुरुआत में उनकी एक्टिंग के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी ,लेकिन अपनी हर गुजरती फिल्म के साथ एक्ट्रेस में काफी सुधार हुआ है।और उन्होंने निशा के किरदार को भी चुनने में काफी समझदारी दिखाई है ।बवाल में जाह्नवी को काफी दमदार रोल मिला है, और उन्होंने उसको बखूबी निभाया है। उन्होंने इस रोमांटिक ड्रामा में अपने किरदार को वरुण धवन जितना ही महत्वपूर्ण बनाया है। पूरी फिल्म इन्हीं दोनों कलाकार के इर्द-गिर्द घूम रही है।
चूंकि फिल्म में पूरा ध्यान मुख्य अभिनेताओं पर था इसलिए निर्देशक ने एक अच्छी केमिस्ट्री बनाते हुए फिल्म बवाल में वरुण और जानवी को चुना है ,और वे दोनों कलाकार काफी हद तक इस पर सफल भी हुए हैं। वरुण के माता पिता की भूमिका निभाने वाले मनोज पाहवा और अंजुमन सक्सेना ने उनसे अपेक्षित किरदार को बखूबी निभाया है।
बवाल फिल्म का कुछ -कुछ दृश्य या हिस्सा हर किसी को पसंद आए ऐसा जरूरी नहीं है । मुख्य कलाकार खुद को द्वितीय विश्व युद्ध के पीड़ितों की छवि में कल्पना करके उनके वैवाहिक संघर्षों को हल करते हैं ,तो इस प्रकार यह एक संवेदनशील विषय से संबंधित है जो व्यक्तिपरक है ,और यह निश्चित रूप से कुछ लोगों को शायद पसंद नहीं आए। फिल्म में कुछ विवादित डायलॉग भी हैं जो शायद हर किसी को पसंद नहीं आएंगे ।
वरुण धवन का किरदार हिटलर के जीवन से एक महत्वपूर्ण सबक सीखता है,वह व्यक्ति जो कई नरसंहारो का जिम्मेदार था। बवाल एक व्यवसायिक तत्व से रहित है। मिथुन तनिष्क बागची और आकाशदीप सेन गुप्ता द्वारा रचित गाने अच्छे हैं । अरिजीत सिंह का एक गाना जो कि काफी लास्ट में है, बहुत अच्छा है ।डेनियल बी जॉर्ज द्वारा प्रस्तुत बैकग्राउंड स्कोर उत्कृष्ट है, खासकर अंतिम क्षणों में ।मितेश मीरचंदानी की सिनेमैटोग्राफी काफी अच्छी है। संपादन बहुत ही अच्छा है उत्पादन मूल्य श्रेष्ठ है ,अश्विनी अय्यर तिवारी ने कहानी लिखी है और नितेश तिवारी ने परिणाम की चिंता किए बिना ‘बवाल’ का निर्देशन उसी तरह किया जैसा वह चाहते थे ।बवाल निश्चित रूप से भविष्य में बहुत सारी चर्चाओं को प्रेरित करेगा।
नितेश तिवारी का डायरेक्शन अच्छा है लेकिन, उन्होंने अपने लिए जो बेंचमार्क सेट किया था,उसे वह पार नहीं कर पाए। यह फिल्म दंगल और छिछोरे के लेवल की तो नहीं लगती लेकिन फिल्म काफी प्रेरणादायक और रोमांचक है।फिल्म के गाने और संगीत बहुत अच्छे हैं । फिल्म की परिस्थितियों और मिजाज के हिसाब से संगीत फिट बैठता है।निर्देशन की बात करें तो फिल्म का पहला भाग मजेदार है और हल्की-फुल्की कॉमेडी के साथ बुना गया है । कहानी और किरदार को स्थापित करने में थोड़ा ज्यादा समय खर्च कर दिया है। इसलिए फिल्म थोड़ी धीमी लगती है। सेकंड हाफ के बाद कहानी अपने असली मकसद पर आती है, यहीं से फिल्म को निर्देशक नितेश ने अलग ट्रीटमेंट दिया है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि सेकंड वर्ल्ड वॉर के बैकड्राप पर लव स्टोरी को बनाना एक टास्क ही था मगर नितेश ने इसे अश्विनी तिवारी की कहानी पियूष गुप्ता, निखिल मल्होत्रा और श्रेयस जैन जैसे लेखकों की टीम के साथ बखूबी निभाया है।फिल्म के कुछ -कुछ किस्से शायद दर्शकों को पसंद नहीं आएंगे ।क्लाइमेक्स आते-आते फिल्म न केवल प्यारा सा मैसेज देती है बल्कि अच्छा फील कराती है। फिल्म की एडिटिंग थोड़ा और अच्छी होती तो मजा आ जाता था। सिनेमैटोग्राफर मिरचंदानी ने लखनऊ जो कि नवाबों का शहर है वहां और यूरोप को दर्शाने में अपना कौशल दिखाया है ।अभिनय के मामले में यह फिल्म हर तरफ से 20 साबित होती है ।यह फिल्म एक मैसेज वाली प्रेम कहानी तथा वर्ल्ड वॉर टू से संबंधित कुछ जानकारी देने वाली है, तो जो दर्शक उसके शौकीन हैं, यह फिल्म उनके लिए काफी अच्छी साबित होगी।
फिल्म अपने परिवार के साथ बैठकर आराम से देख सकते हैं। कुल मिलाकर बवाल एक रोमांटिक ड्रामा है जो कि इस उद्देश्य से बनी है कि एक खास दर्शक वर्ग भी इसका लुफ्त उठा सके। मुख्य कलाकार वरुण धवन और जाह्नवी ने बहुत ही सम्मोहक और बेहतरीन प्रदर्शन किया है ।यह फिल्म पारिवारिक और सामाजिक मुद्दे से काफी अच्छी है इस फिल्म में समाज को एक अच्छा संदेश दिया है। जाह्नवी और वरुण की बहुत प्यारी जुगलबंदी लोगों को बहुत पसंद आएगी ।कुल मिलाकर फिल्म दर्शकों को देखने के लिए बहुत ही अच्छी है। फिल्म कि अगर स्कोरिंग की जाए तो फिल्म को पांच 5 स्टार में से 3 स्टार मिलेंगे।